Sunday, August 19, 2012

लोकतान्त्रिक प्रणाली व वैकल्पिक जीवन शैली के द्वन्द व चिंतन

Photo: लोकतान्त्रिक प्रणाली तो किसी भी रूप में पतन कि तरफ ले जाने वाला रास्ता. वैकल्पिक ऊर्जा : - आज के स्थापित समाजवादी, मार्क्सवादी, कमुनिस्ट व ग्रीन पीस आदि आन्दोलन व विचार, सोच, चिंतन, सिद्धांत, व्यवहार पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध के नाम व रूप में एक तरफ वैकल्पिक स्रजनशील जीवन शेली के क्रमिक द्वन्द्ध को कमजोर करते हैं वंही दुसरी तरफ वर्तमान मूल सामाजिक अंतर्विरोध को पहचान करने से भटकाते हैं. 
स्थापित समाजवादी व्यवस्था कि अपनी कोई जीवन शेली नहीं हैं. वे लोकतन्त्र को ही मूल आधार मानते हैं तो ऊर्जा पर निर्भरता को केसे नकार सकते हैं ? हाँ साम्राज्यवादी लोकतांत्रिक देश वैकल्पिक ऊर्जा को अपना सकते हैं जिनकी निराह भोतिकवादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता अन्य कमजोर देशों कि लूट व शोषण पर आधारित हैं. उनकी तकनीकि विकास कि गति व शोध भी कमजोर, अल्प विकसित व विकासशील देशों तथा अपने देशों कि जनता को भ्रमित कर हासिल कि गई हैं. वे दुसरे देशों को प्रक्रति व परिवेशिकी को नष्ट करने वाले 'विकास के मोडल' कि तरफ आकर्षित व प्रोत्साहित भी कर रहें व वैकल्पिक जीवन शेली के द्वन्द्ध व चिंतन को कमजोर करके पतनशील 'विकास के मोडल' को अपनाने के लिये बाध्य व विवश भी करते रहें हैं. 

जब तक लोकतांत्रिक प्रणाली, जों कि विनाश व पतन का रास्ता हैं, के मूल अंतरविरोध को नहीं पहचाना जा सकतातब तक इस तरह के आन्दोलनों को सही दिशा नहीं दी जा सकती हैं. मूल अंतरविरोध को पहचाने बिना वैकल्पिक जीवन शेली व मूल्यों का संघर्ष भटकता रहेगा व भटकाया जाता रहेगा ! 
लोकतान्त्रिक प्रणाली व वैकल्पिक जीवन शैली के द्वन्द व चिंतन
लोकतान्त्रिक प्रणाली तो किसी भी रूप में पतन की तरफ ले जाने वाला रास्ता है. वैकल्पिक ऊर्जा : - आज के स्थापित समाजवादी, मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट व ग्रीन पीस आदि आन्दोलन व विचार, सोच, चिंतन, सिद्धांत, व्यवहार पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध के नाम व रूप में एक तरफ वैकल्पिक सृजनशील जीवन  शैली के क्रमिक द्वन्द को कमजोर करते हैं वंही दुसरी तरफ वर्तमान मूल सामाजिक अंतर्विरोध को पहचान करने से भटकाते हैं. स्थापित समाजवादी व्यवस्था की अपनी कोई जीवन शैली नहीं हैं. वे लोकतन्त्र को ही मूल आधार मानते हैं तो ऊर्जा पर निर्भरता को कैसे नकार सकते हैं ? हाँ साम्राज्यवादी लोकतांत्रिक देश वैकल्पिक ऊर्जा को अपना सकते हैं जिनकी निरीह भौतिकवादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता अन्य कमजोर देशों की लूट व शोषण पर आधारित हैं. उनकी तकनीकि विकास की गति व शोध भी कमजोर, अल्प विकसित व विकासशील देशों तथा अपने देशों की जनता को भ्रमित कर हासिल की गई हैं. वे दुसरे देशों को प्रकृति व पारिवेशिकी को नष्ट करने वाले 'विकास के मोडल' की  तरफ आकर्षित व प्रोत्साहित भी कर रहें व वैकल्पिक जीवन शैली के द्वन्द व चिंतन को कमजोर करके पतनशील 'विकास के मोडल' को अपनाने के लिये बाध्य व विवश भी करते रहें हैं.
जब तक लोकतांत्रिक प्रणाली, जों कि विनाश व पतन का रास्ता हैं, के मूल अंतरविरोध को नहीं पहचाना जा सकता तब तक इस तरह के आन्दोलनों को सही दिशा नहीं दी जा सकती हैं. मूल अंतरविरोध को पहचाने बिना वैकल्पिक जीवन शैली व मूल्यों का संघर्ष भटकता रहेगा व भटकाया जाता रहेगा !

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