Saturday, August 4, 2012

कांग्रेस के विकल्प की तलाश: भटकती राहें

कांग्रेस के विकल्प की तलाश: भटकती राहें 
अभी तक लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुवी थी व विकल्प भी इस देश कि जनता देती मगर जो कांग्रेस चाहती थी वह शब्द आज जनता के निकल रहें हैं की  आज कांग्रेस का कोई विकल्प नहीं. मित्रों, इन गैर-राजनीतिकों कि कांग्रेसी राजनीति ने ही पिछले १ माह व ५ माह से विपक्ष कि भूमिका निभाई. यह सब कुछ   कांग्रेस के सहारे व आपसी समझदारी से हुआ. अब अगर इस माह सरकार लोकसभा भंग करके मध्यावती चुनाव गुजरात के विधान सभा चुनावों 
 के साथ कराएं तो बिना दस्तावेज, घोषणा-पत्र, उद्देश्य, लक्ष्य तथा विधान के यह अंधभक्ति किस काम की. इस देश कि परम्पराओ, रीति-रिवाजों, लोक-उत्सव व जीवन शैली को अंधविश्वास मानने वालों से कोई पूछे यह कैसी अंधभक्ति व अंधविश्वास हैं. ईश्वर की भक्ति पर सवाल उठाने वालों जवाब दोगे ! इन्होने तो इंदिरा भक्ति को भी पीछे छोड़ दिया. मेरे विचार से लोकतन्त्र प्रतिदिन पतन की और अग्रसर हैं!
  •  कांग्रेस ने एक आदमी जितनी उम्र पा ली व अब भी समाप्त नहीं हुवी तो यह मानों की वह बहुत शातिर पार्टी हैं ! कब क्या कर बैठे हम सब भौचक्के रह सकते हैं. यह दुसरे चतुर मोनी बाबा का राज हैं. संभल के रहना जरुरी हैं.
  • ये वे लोग थे जो नक्सलवाद का लबादा घर पर रखकर आये थे. विदेशी धन लेकर कम्युनिस्ट भाषा बोलते, कांग्रेस को भ्रष्टाचारी कहते तथा भाजपा व संघ के केडर बल गैर -राजनीति की षडयंत्रकारी राजनीति करते.
  •  मित्रों मैने तो सब पहले ही कहा था की क्या होगा !

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