कांग्रेस के विकल्प की तलाश: भटकती राहें
अभी तक लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुवी थी व विकल्प भी इस देश कि जनता
देती मगर जो कांग्रेस चाहती थी वह शब्द आज जनता के निकल रहें हैं की आज
कांग्रेस का कोई विकल्प नहीं. मित्रों, इन गैर-राजनीतिकों कि कांग्रेसी
राजनीति ने ही पिछले १ माह व ५ माह से विपक्ष कि भूमिका निभाई. यह सब कुछ
कांग्रेस के सहारे व आपसी समझदारी से हुआ. अब अगर इस माह सरकार लोकसभा
भंग करके मध्यावती चुनाव गुजरात के विधान सभा चुनावों
के साथ कराएं तो बिना दस्तावेज, घोषणा-पत्र, उद्देश्य, लक्ष्य तथा विधान के
यह अंधभक्ति किस काम की. इस देश कि परम्पराओ, रीति-रिवाजों, लोक-उत्सव व
जीवन शैली को अंधविश्वास मानने वालों से कोई पूछे यह कैसी अंधभक्ति व
अंधविश्वास हैं. ईश्वर की भक्ति पर सवाल उठाने वालों जवाब दोगे ! इन्होने
तो इंदिरा भक्ति को भी पीछे छोड़ दिया. मेरे विचार से लोकतन्त्र प्रतिदिन
पतन की और अग्रसर हैं!
- मित्रों मैने तो सब पहले ही कहा था की क्या होगा !
No comments:
Post a Comment